Urban अर्थ ब्यबस्ता Vs Rural अर्थ ब्यबस्ता 2nd Quarter 2021

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यह सब को पता चल चुका हे की  गाओं की आर्थिक ब्यबस्ता सहर से काफी अछि रही इस साल।  इस के पीछे की वझे रही गाओं  की खेती बड़ी। इसका पूरा श्रेय जाता हे इस COVID 19 के इस महामरी को , हमने थो आपने इस   वीडियो से  एक जनकारी ली थी के जब कभी आर्थिक सकत दिखाई देता हे तोह लोग आपने आबस्यक्ता पे ज्यादा ध्यान देते हे। तो चलिए इस के  बारेमे ज्यादा जानकारी लेते हे।

तो चलिए इस के  बारेमे ज्यादा जानकारी लेते हे। निजी  ब्यबहारिक खर्चा (Privet consumption Expenditure PCE) 26.7% अगले साल के प्रथम तिमाही के  1QF21(1st quarter financial year 2021). अगर 17 महीने के कच्चे देखा जाये सेहरी जग़ाहोसे तो,  तकरीबन 34% की गिरावट देखने के लिए मिली हे , उसी प्रकार में आगर गाओं  की खपती देखूं , तो सिर्फ 4% की गिरावट देखने के लिए मिली हे अगले साल के  प्रथम तिमाहि से। वैसे ही आगर हम दतिया तिमाही (2Qf2021) का देखे तो इस आकड़ो में बोहोत हे बड़ा ान्तर देखने के  लिए मिला हे।   सहरी खपत 18% ओर गाओं की खपत 0.01%  तक गिरी हे।

आगर हम अतीत के  दसधि देखे तो ईसा केवल दो बार हुआ हे , जहा गाओं की ब्यबहारिक खपती सेहर को मात दी हो।  पहला 2009 से 2012 तक में हुई वैश्विक(Global crises) मंन्दी ओर अभी का 2021 का  (2nd quarter 2021) में देख ने के लिए मिला हे।

यहाँ एक चीज़ ज़ाहिर सी बात हे , जब कभी भी ऐसी परिस्तिति दिक्ति हे तो महंगाई आसान को छूती हे।  2000 सल्ल की शुरुआती हिसे में भीषे ही महगाई दोहरी आंक में देखने के लिए मिली थी।इस की एक वझे यह भी है के आपूर्ति ओर मांग (Demand and supply) की कड़ी टूट जाती हे।लेकिन फिलाल के लिए अछि खबर ये हे के इस में बोहोत हे अछि उगाही देखने के लिए मिली हे।

जब कभी भी ऐसा परिस्तिति  देखने के लिए मिला हे , सब से ज्यादा जो मंडी में रही हे वो हे सहरी आर्थिक ब्यबस्ता।   2009 से 2012 तक जो भी मंडी का दौर था , 2017 तक वो धीरे धीरे ख़तम हो के एक अछि अर्थ ब्येबस्टा देखने के लिए मिलीथी।  ऐसे ही इस मंडी का दौर कब तक चलेगा यह अनुमान लगाना उत्तना मुश्किल नहीं।  आने बाले  समाये में एक अछि तेजी देख ने के लिए मिल सकती हे भारतीय अर्थ ब्यबस्ता में ओर भारतीय बाजार में।

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