लोग चाहे जो भी कहे इस जो भी शेयर बाजार में निवेशक हो या फिर कामकरने वाला , वो जरूर हरसद मेहता को हीरो मानता हे। मुझे इस सक्श से इतना लगाव हे वो सिर्फ इस लिए , जब देश में ज्यादातर लोग बेरोज़गार थे , उस समाये इस साक्ष के पास लम्बी लम्बी बिदेशी गाड़िया थी। बजट जब टीवी (TV) पे पढ़ा जा रहा था एक न्यूज़ चैनल पे जहाँ खुद हर्षद मेहता गेस्ट बने रहते थे , उसी समय में उसी चैनल के हेड लाइन्स पे हर्षद मेहता के घर पे आयकर वालो (Income Tax) की चढ़ाई का न्यूज़ लिखा मिलता था। कोई “ बिग बुल “कहता तो कोई “रेसिंग बुल” और तो ज्यादातर हर्षद मेहता शेयर बाजार का “अमिताभ बच्चन” के नाम से इस सक्श को बुलाते थे। उस वक़्त हर बिज़नेस मैगज़ीन और न्यूज़ पेपर के हेड लाइन्स पे इन के फोटो छपते थे। लोगो के सपनों की जिंदगी जीनेवाला इंसान हर्षद मेहता शेयर बाजार का अमिताभ बच्चन । हरसद मेहता का घर समंदर के तरफ किये हुए पेन्ट हाउस , मिनी गल्फ कोर्स , स्विमिंग पूल , और लोगो को सपनो में उलझा देने वाली गाड़ियां (CARS) , उन् में से , टोयोटा कोरोला (Toyota corolla) लेखसुस स्टारलेट (Lexus Starlet) टोयोटा सेरा (Toyota Sera) प्रमुख थी ।
इन के ऊपर फिल्म बने हे 2006 में घपला । और अभी एक वेब सीरीज़ भी आरही हे (scam1992) स्काम 1992 , और आने वाले समय में बिग बुल (Big Bull) नाम से और एक फिल्म आ रही हे। जो भी हो, फिल्म बनाये जाते हे लोगोके पसद के अनुसार न के सच्ची घटना के अनुसार । यहाँ में आप को बोहोत से इसे राज़ की बात बाटूंगा जो की आप फिल्मो या फिर किसी वेब सीरीज़ में नहीं मिलेगा। तोह चलिए जानते हे ;-
- हर्षद मेहता का इतिहास ।
- उस समय देश की हालत ।
- तब के समय का ट्रेडिंग सिस्टम ।
- ओर पर्दाफाश।
- यह घपला कैसे हुआ ।
- इस से कौन कौन जुड़े थे ।
- समाप्ति (The End ) ।
हर्षद मेहता का इतिहास
हर्षद मेहता का जन्म 29 July 1954 पनेली मोती , राजकोट जिला, गुजरात में हुई थी। वो एक जैन परिवार से थे। उन् के पिताजी एक छोटे ब्यापारी थे। हर्षद मेहता के बचपन मुंबई के कांदिवली सेहर में गुजरी थी। उस के कुछ महीने बाद वो और उन् के फॅमिली रायपुर चले गए थे , मध्य प्रदेश की राजधानी।
1976 में B.com कर के करियर के शुरुआती समाये में बोहोत सरे इधर उधर नौकरी किये , जैसे के सेल्स , हिरे की छंटाई, फिर इन्सुरेंस सेक्टर । फिर उन्हें स्टॉक मार्किट में अपनी इच्छा जाहिर की। 1980 में हर्षद मेहता ने स्टॉक मार्किट में प्रबेश किया । 1984 में उसने ब्रोकिंग लाइसेंस भी प्राप्त कर ली थी।
उस समय का देश की हालत
देश में बैंको को नेशनलाइज किया जा रहा था। बैंकिंग की समझ उतनी नई थी , नहीं सर्कार को या फिर लोगोको। उस समय में लोग पोस्ट ऑफिस में आपने पैसे रखा करते थे। बैंक्स के कहीं लूप होल्स थे। वैसे ही शेयर बाजार में भी दलालो का राज था। बी एस सी (BSE) खुद के नियम(by-law) खुद ही उतनी अचे से पलान नहीं करता था ।
उस समाये ब्रोकर की कमीशन (commission) बोहोत हे ज्यादा थी। एशा था के एक बैंक एक ब्रोकर नौकरी रखने की ख्यामता नहीं थी ।बी इस सी (BSE) में भी सरकारी हिसेदारी थी परन्तु वहा दलाओ ली ज्यादा चलती थी। ऐसे भी सुन ने आया हे बैंक के उतने ऑडिट (audit) भी नई होती थी। एक बैंक से दूसरे बैंक को शेयर ट्रांसक्शन के लिए ब्रोकर हेल्प करते थे। बैंक को बोहोत सरे पैसे रिज़र्व रखने पद ते थे , सेन्ट्रल बैंक (central bank.RBI) में। SLR और CRR 1991 से 1992 तक 38% और 25% था । अगर इन् दोनों को मिला दे तो तक़रीबा 63% तक पैसा रिसर बैंक में फस जाता था । अभी बैंक के पास बच ता था 37% जो की वो उधारी दे के उस से सुध कमा सके। पर उस में भी 15 % प्रायोरिटी सेक्टर में लोन दिया जाता था। जैसे के किसान , या फिर महिला उद्योग। ओर इन से वापस पैसे आना मुश्किल था। थो अगर देखा जाये 15 % से 20% तक बैंक का डूबंत ऋण (NPA )हो जाता था। मतलब हर नॅशनलाइज़्ड बैंक के पास 15% से 20 % तक का पैसे रहता था। ओर इस राशि से वो अधिक से आधी कमाने की कोसिस करते थे। अगर देख जाये तो ये भी एक कारन हो सकता हे इस घपले के पीछे बड़े बैंक के हात रहने के।
तब के समय का ट्रेडिंग सिस्टम
जेसे के उप्पर मेने आलोचना की हे , तब शेयर बाजार के बारेमे उत्तना बैंक को पता नई था , और उन् के पास काम पेसे होने के कारन , वे सब मिल के एक ब्रोकर से काम करवा ते थे। ब्रोकर की संमिशन कुछ ज्यादा ही थी और उन् का रुतवा भी भरतिया बाजार में कुछ ज्यादा हे था।
ऐसा सून ने के लिए मिला हे के , र बी आई जब ऑडिट करने जाती थी इस बी आई(SBI) , तो उन्हें टाइम नई दिया जाता था। एक बार र बी आई (RBI)के गवर्नर ने हर्षद मेहता से सिफारिश की माग की थी के वो थोड़ा इस बी आई बैंक (SBI) से कहे के उने ऑडिट करना ह।
तब एक दिन का सेटेलमेंट नई था , और सब काम कागज और कलम से होता था , फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट की तब समय थ। मतलब आप अभी एक शेयर खरीदने का वादा करते है और ठीक कुछ दिन के बाद आप पेसे देते थे। लेकिन औगेर इस दौरान उस शेयर का दाम (price) बढ़ जाता था तो बिना पेसे दिए ही बेच दिया जाता था। और वैसे ही , औगेर उस का दाम काम हो जाये तोह बेच के निकल जाते थे। इस में वो 15 दिन का समय लेते थे । पर यह सुबिधा 1969 में बंद करदिया गया। फिर एक बदला ट्रेडिंग सुभिदा लागु कर दिया गया। जिसमे दो तरह से शेयर को हिस्स्सा कर दिया गया। ग्रुप ए और ग्रुप बी। जिसमे फॉरवर्ड ट्रेडिंग की सुबिधा थी उसे ग्रुप ए में रखा गया, इस में सरे नामी दामि शेयर थ। और दूसरे ग्रुप में सब साधारण शेयर थे। बदला ट्रेडिंग में हर्षद मेहता बोहोत ही माहिर खिलाडी था।
यह घपला कैसे हुआ;-
आप आगर इस घोटाले के जड़ तक पहुच न चाहते हे, तो दो चीज को जानना बोहोत ही जरूरी हे । जो के उस समय के बक को के ट्रेडिंग का बोहोत ही बड़ा हिंसा तह । 1. इस जी एल (GSL), 2. बी आर (BR)।
- SGL (Security general ledger)
तब के ट्रांजक्शन में एक बैंक सेक्युरिटीस देता था , और एक बैंक सेक्युर्टीस के बदले पेसे। यह सारा काम ब्रोकर के माध्यम से होता था। यह एक तररह के उधारी था, बैंक एक दूसरे को दिया करते थे गोरमेंट सेक्योरिटिस के बदले में और इंट्रेस्ट (interest)कमा ते थे । और यह सब काम एक ब्रिकेर के माधयम से पूरा हुआ करता थ। यह सब ( R B I) के देख रेख में होता था। RBI के पास एक खाते में यह सब लिखा जाता था, तब कंप्यूटर नहीं थे , जिस खातेमें ये सब रिकॉर्ड रखा जाता था , उस को स जी एल (SGL) कहा जाता था।
इस ट्रांसक्शन को तक़रीबन 15 दिन तक लगता था , और ब्रोकर का इतना अच्छा प्रवहब था के कोई पूछ ता भी नई था औगेर पेसे आने में देरी होता था। हर्षद मेहता एक बैंक से सिक्योरिटीज लेता और दूसरे बैंक से आपने बैंक अकाउंट पे पसे लेके आता, और पहले बैंक को पेसे देने के बदले वो वही पेसे के शेयर बाजार में आपने पसन्दीदे शेयर पे मैनुपुलेट करता था। तोह उस समाये में इतने सरे पेसे एक शेयर पे लगने के कारन शेयर के प्राइस आसमान छुनते थे , और उसी समय ये वह से फ़यीदा (profit) बुक करके वापस पहले वाले बैंक को पैसे लोटा देता था।
उदाहरण।
बैंक ए (A Bnak) ने 100 करोड़ की सिक्योरिटीज दी हर्षद मेहता को बैंक बी के पास गिरवी रख ने के लिए, और हर्षद मेहता बी (B Bnak) के पास गिरवी रखने के बाद , हर्षद मेहता आपने बैंक के खाते में 100 करोड़ लता था। और उस पेसे को लौटने से पहले वो स्टॉक मार्किट में पेसे लगता था। वहासे 105 करोड़ लेक फिर 100 करोड़ बैंक को दे देता थ। यहाँ पे सीधा 5 करोड़ का मुनाफा।
लेकिन तब तो हद ही हो गई जब इस से भी ऊपर चला गया हर्षद मेहता और ज्यादा पेसे कमाने के चाकर में।
- बी आर .B R (Bank Receipt)
S G L में एक आसुबिधा थी के इस में लिखे जने के बाद काम बोहोत ही धीमे गति से होता थ। इस लिए बैंको ने बी आर (BR bank receipt) का इस्तेमाल करना सुरु करदिया , यह सेक्युरिटिस के बदले बीआर (BR) देते थे , और उस बी आर (BR) के बदले बैंक पेसे उधर में देते थे कुछदिन या फिर कुछ हप्तो के लिए। लेकिन हर्षद मेहता बैंक के कर्मचारीओ से मिलके नकली बी आर (BR) जारी करना सुरु कर दिए। बैंक A से नकली BR छाप्प के बैंक B से उधर लेके बो शेयर बाजार (Stock Market)में लगता और, पेसे मुनाफा करने के बाद बैंक B को पेसे वापस कर देता था। इस से बोहोत सारा पेसे कमा ता था।
उदाहरण १
बैंक A से नकली बी आर (BR) छापता था 1 करोड़ का उससे बैंक B को देके आपने खाते में लेके शेयर बाजार में निवेश करता था। फिर 105 करोड़ होने के बाद मुनाफा कामके वो फिर बैंक B को पेसे सुध के साथ 101 करोड़ लोटा देतात था। और बाकि के मुनाफे से 1 करोड़ बैंक A को देके , सारि मुनाफा 3 करोड़ आपने पास रखता था।
और धीरे धीरे ये मामला जोरो से होने लगा और सब के नज़रो में आने लगा के शर में बोहोत ही जोरो से मनुपुलेशन हो रहा हे। हर्षद मेहता के पसन्दीदे शेयर ACC, BPL, VIDIOCON इन् में बोहोत ही ज्यादा मनुपुलेशन कर ता था। ACC के शेयर के भावो 200 से बढ़ कर 9000 तक चलागय शारो के भाव आसमान चुने लगेथे। शेयर मार्किट (INDEX SENSEX) 300% बढ़ गया सिर्फ 10 महीने के अंदर ।
ओर पर्दाफाश।
23rd अप्रैल 1992 में सुचिता दलाल नाम की एक पत्रकार ने जब स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में (State Bank Of India)500 करोड़ के न होने के खबर डाला टाइम्स ऑफ़ इंडिया में। तब जेक यह मामला सब धीरे धीरे सामने आने लगी , तभी से ही शेयर बाजार में गिरावट देखने के लिए मिलीथी, मई 1992 को नेन्सेक्स (Sensex ) 4467 से औगेस्ट (august) तक 2500 आगया ।
और तब जाके सच्चाई सामने आई , हर्षद मेहता बैंको का पैसा लेके शेयर बाजार में गलत तरीके से निवेश रहा ह।
यह सारि जानकारी पपने के बाद शेयर बाजार बोहोत जोरोर से गिरा। इस के बाद इन्कुअरी बैठी तो पता चला के सिर्फ हर्षद मेहता ही नहीं , बोहोत सरे लोग इस घोटाले में शामिल हे।
हर्षद मेहता के वकील थे राम जेठमलानी, वो भरी प्रेस के सामने कहे , अगर आप इस घोटाले का चेहरा देना कहते हे तो वो हर्षद मेहता नहीं वाल्के , हमारे प्रधान मंत्री पि भी नरसिम्हा रओ जी है। हरसद मेहताने खुद आपने बयान में कहा के मेने एक करोड़ रुपये पि भी नरसिम्हा रओ जी को दिया हे। इस के उत्तर में पि भी नरसिम्हा रओ ने कहा के ये सब झूठ हे।
इस से कौन कौन जुड़े थे
इस घोटाले के पीछे बहत सारे लोग जुड़े हुए थे, मिनिस्टर्स , बैंक्स , एन बी ऍफ़ सी , और बहत सारे ब्रोकर। इस सब के दौरान हर्षद मेहता को हिरासत में लेलिया गया । उस के उप्पर 70 आरोप
लगाए गए। और 600 से भी ज्यादा सिविल सूट फाइल किये गए।
जो बैंक (Bank) और एन बी एफ सी (NBFC)इस घोटाले में हर्षद मेहता से जुड़े थे , जो नकली बी आर (BR) बना ने में मदत कर रहे थे।
- बैंक ऑफ़ कराड BANK OF KARAD(BOK)
- मेट्रोपोलिटन कोआपरेटिव बैंक Metropolitan Cooperative Bank (MCB)
और जो दलाल (Broker)इस सब से जुड़े थे
- फेयर ग्रोथ फाइनेंसियल सर्विसेस (Fair Growth financial services)
- हर्षद मेहता ग्रुप (H M grup)
- दलाल ग्रुप
फेयर ग्रोथ फाइनेंसियल सर्विसेस में पि चिदंबरम और उनकी पत्नी का बोहोत बड़ा स्टेक था। और उसी समयमे पि चिदंबरम मिनिस्टर ऑफ़ कोम्मेर्स भी थे। इस लिए ये स्काम के खुलासे के बाद उन् को इस्तफ़ा देना पड़ा।
उस समय में , हमरे फाइनांस मिनिस्टर थे डॉक्टर मनमोहन शिंग। बाजार की तेजी में वो इकॉनमी रे फॉर्म के वझेसे मार्किट में तेजी रहने का अन्देशा लगा रहे थे , पैर जब यही घोटाला सामने आया तो उन्होने कहा के बैंको का पैसा शेयर बाजार में लगने के कारन यही तेजी आइहै। और उन्होंने भी इस्तफ़ा दी थी, पर उस समाये उनकी इस्तफ़ा मंजूर नहीं की गई थी।
इस बाजार के तेज़ी में कुछ लोग बोहत पेसे भी कमाए वो थे
- सिटी बैंक (citi bank)
- बैंक ऑफ़ अमेरिका (Bank of America)
- अमेरिकन एक्सप्रेस बैंक (american express bank)
- ए एन जेड ग्रिन्दलएस बैंक (anz grindlays bank)
पर जब इन् को कहा गया घोटाले के बारेमे , तो ये बिदेशी बैंको ने कुछ आपने कर्मचारियों बहार निकलदिया , पर आज तक पेसो की बात नई की गई।
ओर इसी तरह कुछ बैंक थे जो भरी नुकसान के शिकार हुए।
जी हाँ कुछ बैंक बहत ही ज्यादा नुकसान के शिकार हुए , ज्यादा तर भारत के बैंक थे और दो बिदेशी बैंक भी शामिल थे इस जाल के सीकर।
घरेलु बैंक
- स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI)
- स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया कैपिटाल (SBIs NBFC)
- एन एच बी (National housing bank)
- कैन फाइनांस (Canara bank today)
- Andhra financial services (Andhra bank today)
- स्टेट बैंक ऑफ़ सोरास्ट्र (SBS)
बिदेशी बैंक
- स्टैण्डर्ड चार्टड बैंक (Standard charrtard bank )
समाप्ति (The End)
1999 में हर्षद मेहता को 5 साल की सजा सुनादि गई , और उसस्के भाई और परिबार को शेयर बाजार से बहिस्कार करदिया गया। सारे अकाउंट जप्त करदिये गए। 2001 दिसम्बर 31 तारीख को जेल में हे हर्षद मेहता की देहांत हुई। एक इन्कुरी कमिटी बैठा दी गई। और समूचे नुकसान का आकलन किया गया।
और इस बैठक से सरकारी हिसाब से पता लगा दिया गया के 4024 करोड़ का घोटाला किया गया हे।
यह कलना सिर्फ 1991 से 1992 तक का था। लेकिन इस से पहले भी फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट और बी आर (BR) की इसतमाल किया जाता था। तोह इस से तो हे , के घोटाला इस से भी बड़ी थी। अनुमान किया जाता हे के यह घोटाला १४ से १५ करोड़ का था , जो की आज तक सवाल है।
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