बैंकिंग सेक्टर की परिस्तिति। 2020

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Monetary Policy  से देश की अर्थब्येबसता में परिबर्तन लानेका माध्यम RBI से होक गुजरती हे।  यह ज्यादातर बस्तुओं के दर दाम (Asset price) , बैंक के सुध की स्तिति (Interest rate) और साधारण अर्थ ब्यबस्ता (General Economics)को नजर में रख के किया जाता हे।

यह सधारन सी बात हे जबभी  बैंक आपने दिए गए रून की धन वापस लानेमे चुकती है (NPA) तोह बैंको को कुछ ज्यादा पूंजी की हिंसा आपने पास रखनी पड़ती हे, जो की वो किसिस्को रून के आकर में ना दे सके। इस धन राशि को प्रोविज़न(Provision) कहाजाता हे।यह किसी भी कारन से होसकती हे , वो चाहे मूलधन के या फिर सुध को वापसँ सही समाये पे ना लेन के कारन यह कदम RIBके द्वारा लिया जाता हे।  और इससे मन्ना भी पडतहे बैंको को। इस तरह से बैंको को निधि की लागत (Cost of fund) बढ़ जाती हे। इस कारण से जब भी RBI , REPO दार में गिरावट लती हे बैंक दियेगये रून राशि पे आपने बियाज कामनहीं करती।  पर जब RBI बियाज दार बढाती हे तोह बैंक आपने बियाज बढ़ने  से पीछे  नहीं  हटती । इस करण बस बैंको की मौद्रिक नीति (Monetary Policy) उत्तनी कारगर साबित नहीं होती गैर निष्पादित परिसंपत्तियाँ (NPA) के होते। यह एक तरह का आर्थिक परिस्तिति बे लगाम के जैसे हो जाती है।

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